Tuesday, August 19, 2008

Ye Kya KAR Baithe..

फिजाओं की कद्रदानी तो हमसे ना हुई..
कमबख्त रुसवा मौसम को भी कर बैठे..
वफाओं की ताजपोशी में मौजूदगी ना हुई..
और गुनाहगारों से बेअदबी कर बैठे..
जवाबों की अदायगी से बेरुखी ही हुई..
फकत इक सवाल से जलजले बुला बैठे..
सफीना-ऐ-दिल के लहरों से दोस्ती ना हुई..
तिस पे नाखुदा से दुश्मनी कर बैठे..
तमाम उम्र दीदार-ऐ-यार की फुर्सत ना हुई..
रेजा-रेजा वो हमको दिल से भुला बैठे..

warm regards,

Dr. Ankita

No comments: