एक अलग सा ख्याल...
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उसकी सुलगती आँखों में एक तूफ़ान सा है..
उसकी उनींदी सी पलकों पे एक जेहाद सा है..
उसके कांपते अधरों पे एक सैलाब सा है..
उसकी शारीरिक अभिव्यक्ति में एक बदलाव सा है..
उसे आजकल किताबों से एक लगाव सा है..
कुछ अरसे से उसकी भावनाओं में एक बहाव सा है..
उसके मुताबिक ये दौर-ऐ-समाज रिश्ते हुए तेजाब सा है..
मानो जलजले के आने से पहले मौसम में एक ठहराव सा है..
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अंकिता..
Thursday, August 21, 2008
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