गर फलक पार वो खुदा है..
फिर क्यूँ हर बशर गमजदा है..
हर सूं मुफलिसी और नाकामी..
क्यूँ बेअसर मजलूम की सदा है..
हर शहर लूट और गैर-बराबरी..
मेरा चर्चा कब तुझसे जुदा है..
सफीना-ऐ-जिन्दगी बीच तलातुम..
और साहिल पे पशेमां सा नाखुदा है.
ता-उम्र अश्को-गम बेहिसाब मिले..
सहरा-ऐ-सफ़र किस्मत में बदा है..
मौत मुझसे हारे या की मैं उससे..
हो तमाशा बयाँ क्यूँकर ये मुद्दा है..
आतिश-ऐ-दोजख में ख़ाक जिन्दगी..
'रोशन-ऐ-ख्याल' के सुखन में फिरभी अदा है..
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ankita...
9 comments:
अच्छा लिखा है। स्वागत है आपका।
हर शहर लूट और गैर-बराबरी..
मेरा चर्चा कब तुझसे जुदा है..
कमल की शायरी है,
हर शहर लूट और गैर-बराबरी..
मेरा चर्चा कब तुझसे जुदा है..
सफीना-ऐ-जिन्दगी बीच तलातुम..
और साहिल पे पशेमां सा नाखुदा है.
ता-उम्र अश्को-गम बेहिसाब मिले..
सहरा-ऐ-सफ़र किस्मत में बदा है..
बहुत खूब....एक ओर मेडिकल वाले का ब्लॉग जगत में स्वागत है....उम्मीद है अब सफ़्हा दर सफ़्हा मुलाकात होगी....
aor haan ye word verification hata lo.....
बहुत खूब।
शुभकामनाओं के साथ स्वागत है।
बहुत अच्छा । उर्दू शब्दो के अर्थ भी साथ में दें तो ज्यादा सुविधा होगी।
shobha ji, ''sure'',
anurag ji, sanjeet ji,
sajeev ji aur rajender ji..
bahut shukriya meri koshish
ko sarahne ka..
masroof thi to thoda jawab
dene mein late ho gayi..
regards,
हर शहर लूट और गैर-बराबरी..
मेरा चर्चा कब तुझसे जुदा है..
बधाई स्वागत निरंतरता की चाहत
समय निकल कर मेरे ब्लॉग पर भी पधारें
shukriya pradeep ji..
ji jaroor koshish karungi..
इतनी बेरहमी,बेशर्मी,कत्ले-आम ,
कैसे करे खुदा तेरा एहतराम;
तमाशा क्यों करे है सरे-आम।
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