इन्ही पगडंडियों पे चलते चलते.
.अठखेलियाँ करते करते..
एक दिन वोह मिले थे..
पहले निगाहें मिली..
फिर मन भी मिले थे..
वो श्यामल रंग का..
जिंदादिल नौजवान था..
और वो रंगीन तितली सी..
सादगी उसकी पहचान थी..
दोनों दुनिया की ,
सबसे हसीं शै में खोये थे..
बहुत हंसते थे वे..
कई बार हंसते हंसते रोये थे..
उनकी हर बात निराली थी..
एक अलग सी दुनिया बसा ली थी..
कभी ख़त लिखते थे..
कभी ग़ज़ल कहते थे..
कई बार चंद के चेहरे को..
आयत की तरह पढ़ते थे..
दरअसल वे मोहब्बत में पड़े न थे..
मोहब्बत ने उन्हें कैद कर लिया था..
जब उनको अपने मासूम ख्वाबों की,
इबारत रखनी थी..
उसी पल उसी लम्हे से,
दुनिया ने उन्हें अपने निशाने पे रख लिया था..
अब वो इश्क के मारे न थे..
गर मुआफ मुजरिम थे..
उन्होंने संगीन जुर्म किया था..
इंसानी ज़ज्बे को चाह था..
चाहत से पहले वे ,कुछ भूल गए थे..
खुद को भुलाने से पहले,
अपना दायरा अपनी नींव भूल गए थे..
उन्होंने एक दूजे को,टूट के चाहा था..
पर वो दौर-ऐ-समाज के,
कुछ उसूल, रसूख भूल गए थे..
कैसे उन्होंने हिमाकत की..
देवत्व प्राप्त जाति की लड़की...
और दिल हारी भी तो किस पर..
एक अदना सा भिश्तियों का छोकरा..
कैसे अपने शिवाले को होने दे मैला..
नहीं कुछ तो करना होगा..
मन की वो पढ़ा लिखा है.
पर खानदान तो निपट गिरा है..
फिर पंचायत हुयी, बैठकें बुलाई गयी..
और फिर मोहब्बत की सजा सुनाई गयी..
या के इनको अलग कर दो..
और जो न माने तो,
सर को धड से अलग कर दो..
सुन कर दोनों की रूह काँप गयी..
अरे वो तो अभी अभी ,
नींद की खुमारी से जागे थे..
वे इंसान तो थे ही नहीं..
बस अभागे थे..
जात धर्म की परिभाषा तो उन्हें,
कभी भी समझ न आती थी..
एक दूजे को जान कर..
एक पुख्ता समझ बनायीं थी..
पर आज तो जैसे सारी दुनिया..
उन्हें गुनाहगार बनाये थे..
कैसे वे खुद को भूल सकते थे..
जब उनके दिल एक साथ धड़कते थे..
साथ जीने मरने की कसमे खायी थी..
साँसों पे तो अपनों ही पहरा लगा दिया..
पर साथ मर तो सकते हैं..
यही सोच कर उन्होंने..
उसी कुए ,
में अपना आखिरी घर बसा लिया..
ये कुआ उनके अनगिनत पलों का,
खामोश गवाह था..
इस आज़ाद मुल्क के,
दो आज़ाद ख्याल जवानियों का..
एक साथ जीना गुनाह था..
और कुछ दिन बाद फिर सब..
पहले सा रवां था..
हाँ लेकी दो बबूल के पौधे ..
कुए की मुंडेर पे उग आये थे..
कुआ अपने होने से परेशान था..
बबूल के काँटों की ..
अनछुई घुटन का..
एक वो ही तो निगहबान था..
*****
अंकिता..